
कासगंज (उदित विजयवर्गीय) – कस्बे में अवैध रूप से चल रहे निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम्स का जाल बेतहाशा फैलता जा रहा है। जहां गिने-चुने अस्पताल ही वैध रूप से पंजीकृत हैं, वहीं अधिकांश क्लीनिक बिना लाइसेंस के धड़ल्ले से संचालन कर रहे हैं। यह न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करता है, बल्कि आमजन की जिंदगी से भी सीधे तौर पर खिलवाड़ है। कई अस्पतालों में कागजों पर तो योग्य डॉक्टर दर्ज हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि मरीजों का इलाज झोलाछाप और अप्रशिक्षित लोगों द्वारा किया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह पूरा नेटवर्क स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत से फल-फूल रहा है। नियमित जांच केवल औपचारिकता बनकर रह गई है। बीते शुक्रवार को अलीगढ़ अस्पताल में प्रसुता प्रियंका की मौत ने फिर से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं की पोल खोल दी। अक्सर देखा गया है कि किसी हादसे के बाद ही प्रशासन हरकत में आता है और कुछ दिनों की खानापूर्ति कर मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
चौंकाने वाली बात यह है कि जिन अस्पतालों को पहले सील किया गया था, वे भी चोरी-छिपे संचालित हो रहे हैं। यह न केवल प्रशासनिक लापरवाही है, बल्कि आम लोगों की जान के साथ भीषण खिलवाड़ है।
वर्जन: “जल्द ही स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर निजी अस्पतालों की जांच कराई जाएगी। अवैध पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। पहले सील किए गए अस्पतालों की भी सूची तैयार कराई जाएगी और यदि वे खुले मिले तो उनके विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।”
– प्रदीप विमल, एसडीएम, पटियाली