मेरठ के सरूरपुर में भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखा में फर्जीवाड़े का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। नाजिम नामक शख्स ने सर्राफा कारोबारी की मिलीभगत से नकली सोने के आभूषण गिरवी रखकर करीब 11 लाख रुपये का गोल्ड लोन ले लिया। बैंक की आंतरिक जांच में सच्चाई सामने आई तो पूरा मामला पुलिस के पास पहुंचा। अब इस धोखाधड़ी के पीछे की साजिश का पर्दाफाश बैंक प्रबंधक ने खुद किया है।
SBI की सरूरपुर शाखा के शाखा प्रबंधक आदित्य ने बताया कि नाजिम नामक व्यक्ति ने पहले साल 2015 में 5.72 लाख और फिर 2018 में दोबारा लोन लिया। दोनों बार उसने मुंशी लाल (हरिकृष्ण ज्वेलर्स, मेरठ) की मूल्यांकन रिपोर्ट के आधार पर गोल्ड लोन हासिल किया। कुल रकम ₹10,99,000 हो गई।
2021 में जब बैंक की आंतरिक जांच हुई और जेवरों का मूल्यांकन किसी अन्य जौहरी से कराया गया, तब पता चला कि जो जेवर बैंक में गिरवी रखे गए थे, उनमें 90% तक चांदी थी। यानी आभूषण सोने के नहीं, बल्कि लगभग पूरी तरह नकली थे।
बैंक को जब असली नुकसान का आंकलन किया गया, तो पता चला कि गिरवी रखे जेवरों की वास्तविक कीमत मात्र ₹3,72,000 थी, यानी कुल ₹7,27,640 की ठगी बैंक के साथ की गई थी। बैंक मैनेजर की तहरीर पर पुलिस ने नाजिम और सर्राफा कारोबारी मुंशी लाल के खिलाफ धोखाधड़ी और साजिश की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
“बैंक द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी का मामला प्रतीत होता है। साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई होगी।”
यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि गोल्ड लोन के मामलों में उचित मूल्यांकन और पारदर्शिता कितनी जरूरी है। फर्जी दस्तावेज और सर्राफ की मिलीभगत से की गई यह साजिश, बैंकिंग सिस्टम की निगरानी को कठघरे में खड़ा करती है। लेकिन बैंक की सतर्कता और जांच के चलते इस धोखाधड़ी का पर्दाफाश हो सका।