
नोडल अधिकारी ने किया था निरीक्षण, पर सुध कब होगी?
कासगंज। गंजडुंडवारा स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की बदहाली अब आम लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। हर साल योजनाएं और बजट जारी किए जाने के दावे तो होते हैं, मगर जमीनी सच्चाई इससे कोसों दूर नजर आती है। सवाल उठता है कि क्या कभी इस बदहाल व्यवस्था से राहत मिलेगी या इलाज यूं ही बदहाल सिस्टम के भरोसे चलता रहेगा।
पहचान के नाम पर टूटा गेट और गुम नाम-बोर्ड
स्वास्थ्य केंद्र का मुख्य गेट पूरी तरह से टूट चुका है और उस पर कोई नाम या पहचान दर्शाने वाला बोर्ड भी नहीं लगा है। इससे पहली बार आने वाले मरीजों के लिए अस्पताल की पहचान कर पाना तक मुश्किल हो गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार मरीज या उनके परिजन अस्पताल का रास्ता भटक जाते हैं क्योंकि बाहर से यह समझ ही नहीं आता कि यह एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है।
अंदर है अव्यवस्थाओं का अंबार
सीएचसी परिसर में चारों ओर उगी झाड़ियां, क्षतिग्रस्त सड़कें और जगह-जगह गड्ढे न सिर्फ असुविधा बल्कि खतरे का कारण बन चुके हैं। बरसात के मौसम में हालात और बिगड़ जाते हैं जब पूरा परिसर जलमग्न हो जाता है। इससे न सिर्फ मरीजों को बल्कि अस्पताल स्टाफ को भी आवाजाही में भारी दिक्कत होती है।
अधिकारियों से की गई अपील
स्थानीय लोगों और मरीजों ने मांग की है कि सीएचसी के गेट की मरम्मत कराई जाए, नाम बोर्ड लगाया जाए और सड़क मार्गों को दुरुस्त किया जाए ताकि मरीजों को असुविधा न हो। सीएचसी अधीक्षक डॉ. आकाश का कहना है कि फंड की कमी के कारण कई जरूरी काम रुके हुए हैं, लेकिन वे लगातार प्रयासरत हैं और जैसे ही फंड प्राप्त होगा, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
निरीक्षण में सामने आई खामियां
कुछ दिन पहले शासन द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी एवं अलीगढ़ के अपर उपायुक्त अरुण कुमार ने केंद्र का निरीक्षण किया था। उस समय ऑक्सीजन प्लांट बंद मिला, जो किसी आपात स्थिति में एक गंभीर चूक मानी जा सकती है। साथ ही, फायर सेफ्टी सिस्टम भी निष्क्रिय अवस्था में था। टूटा गेट और लापता नाम-बोर्ड जैसी मूलभूत अव्यवस्थाएं भी उजागर हुईं। अब देखना यह है कि क्या नोडल अधिकारी की नजर इन समस्याओं पर पड़ी और क्या कोई ठोस कार्रवाई होगी या यह निरीक्षण भी सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगा? जनता की अपेक्षा है कि शासन तत्काल आवश्यक कदम उठाए और स्वास्थ्य सेवाओं में व्याप्त इस अव्यवस्था को समाप्त करे।