
संभल — बॉलीवुड की प्रसिद्ध अभिनेत्री रह चुकीं ममता कुलकर्णी अब आध्यात्मिकता की राह पर पूरी तरह अग्रसर हो चुकी हैं और अब उन्हें महामंडलेश्वर ममता अनंत गिरी के नाम से जाना जाता है। रविवार को उन्होंने संभल जिले के ऐंचौड़ा कंबोह स्थित निर्माणाधीन श्री कल्किधाम में शिला पूजन और शिलादान किया। इस दौरान उन्होंने एक महत्वपूर्ण और आध्यात्मिक दावा करते हुए कहा,
“मैं भगवान परशुराम की वंशज हूं, मेरा गोत्र ऋषि जमदग्नि का है।”
उन्होंने बताया कि समाधि की अवस्था में उन्होंने कल्कि अवतार के दर्शन किए और दावा किया कि भगवान परशुराम ही कल्कि अवतार के गुरु हैं। उन्होंने बताया कि सह्याद्री पर्वत पर कल्कि अवतार तपस्यारत हैं और भगवान परशुराम उन्हें दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की विद्या प्रदान कर रहे हैं।
25 वर्षों की तपस्या का फल
महामंडलेश्वर ममता ने बताया कि यह अवसर उन्हें 25 वर्षों की साधना के बाद प्राप्त हुआ है। उन्होंने खुद को मां भगवती का प्रतिनिधि बताया और कहा कि यह मिशन अब उनका धर्म बन चुका है।
श्री कल्कि मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 फरवरी 2024 को श्री कल्कि मंदिर की आधारशिला रखी थी। अब महामंडलेश्वर ममता अनंत गिरी इस स्थल को एक नया अध्यात्मिक आयाम देने की दिशा में सक्रिय हैं। आयोजन के दौरान किन्नर अखाड़ा द्वारा भी विशेष पूजा-अर्चना की गई, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
जनमानस में उत्साह
इस आयोजन को लेकर संभल और आसपास के क्षेत्रों में भारी उत्साह देखा गया। लोग बड़ी संख्या में ममता अनंत गिरी के दर्शन और आशीर्वाद के लिए पहुंचे। उनकी आध्यात्मिक यात्रा को लेकर चर्चाएं भी तेज हो गई हैं।