
यह मामला मेरठ के सेंट्रल मार्केट से जुड़ा हुआ है, जहां सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माण के लिए ध्वस्तीकरण का आदेश दिया है। यह पूरा विवाद 45 साल पुराना है, जब 1986 में आवासीय प्लॉट्स को आवंटित किया गया था, लेकिन 1990 में यहां पर दुकानों का निर्माण कर लिया गया, जोकि नियमों के खिलाफ था। अब, सुप्रीम कोर्ट ने 661/6 नंबर की इमारत को अवैध ठहराते हुए उसे ध्वस्त करने का आदेश दिया है।
इस मामले में व्यापारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगा रहे हैं, क्योंकि इस आदेश के बाद उनके व्यापार पर असर पड़ सकता है। आवास विकास परिषद ने बिजली और पानी के कनेक्शन काटने के लिए नगर निगम और पीवीवीएनएल को पत्र भेजा है और ध्वस्तीकरण की तैयारी शुरू कर दी है।
यह मामला 1989 में आवासीय स्थान के आवंटन से शुरू हुआ था, लेकिन 1990 के बाद यहां दुकानें बन गईं और अधिकारियों ने इसे अवैध मानते हुए नोटिस जारी किया। कई सालों तक यह मामला कोर्ट में चला और अंततः सुप्रीम कोर्ट ने अवैध निर्माणों को ध्वस्त करने का आदेश दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 860 व्यापारियों को नोटिस भेजे गए, जिसमें से 127 ने अपनी गतिविधियां बंद कर दी हैं, जबकि बाकी के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अब, आवास विकास परिषद ने 32 संपत्तियों को चिन्हित किया है, जिनमें से पहले नंबर पर 661/6 को ध्वस्त किया जाएगा।
ध्वस्तीकरण के लिए लगभग 2 करोड़ रुपये का खर्च आ सकता है, और इस पूरे प्रकरण में अधिकारियों की लापरवाही की वजह से उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।