मेरठ। तपती दोपहर, मेरठ। तपती दोपहर, चुभती धूप और ऊपर से धुंध की चादर—यह दृश्य अब मेरठ के लिए नया नहीं रहा। गुरुवार को वायु प्रदूषण ने ऐसा कहर ढाया कि लोगों को सुबह-सुबह यह भ्रम हुआ कि सर्दी की कोहरा है, लेकिन असलियत कुछ और ही थी। यह कोई मौसमीय कोहरा नहीं बल्कि वायु प्रदूषकों की मोटी परत थी, जो पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले चुकी थी।चुभती धूप और ऊपर से धुंध की चादर—यह दृश्य अब मेरठ के लिए नया नहीं रहा। गुरुवार को वायु प्रदूषण ने ऐसा कहर ढाया कि लोगों को सुबह-सुबह यह भ्रम हुआ कि सर्दी की कोहरा है, लेकिन असलियत कुछ और ही थी। यह कोई मौसमीय कोहरा नहीं बल्कि वायु प्रदूषकों की मोटी परत थी, जो पूरे शहर को अपनी गिरफ्त में ले चुकी थी।

पीएम 10 पहुंचा 500 के पार
गुरुवार को दोपहर में पीएम 10 का स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर को छू गया, जो मानकों से चार गुना अधिक है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के मुताबिक, मेरठ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 313 दर्ज किया गया, जिससे यह प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर बन गया। इसके साथ ही यह देश के टॉप-4 प्रदूषित शहरों में भी शामिल रहा।
धूल, आग और लापरवाही बना रही जहर
गढ़ रोड, दिल्ली रोड, मुकुट महल के पीछे और कैंट इलाकों में खुदी पड़ी सड़कों से उड़ती धूल और खुले कूड़े के ढेर में लगाई जा रही आग ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। खासकर जयभीम नगर और पल्लवपुरम जैसे इलाकों में पीएम 2.5 भी 500 के आसपास दर्ज किया गया, जो सांस की बीमारियों को न्यौता दे रहा है।
निगम और एजेंसियों की आंखें बंद
इन खतरनाक हालातों के बावजूद नगर निगम और निर्माण एजेंसियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। न पानी का छिड़काव हो रहा है, न निर्माणस्थलों को ढका जा रहा है। वहीं लोहिया नगर, बुढ़ाना गेट, गंगानगर जैसे रिहायशी इलाकों में भी हालात बदतर हैं।
पर्यावरण विशेषज्ञों की चेतावनी
पर्यावरणविद अनुप्रिया शर्मा का कहना है कि वर्तमान में कोई मौसमीय सिस्टम सक्रिय नहीं है, जिससे प्रदूषक कण हवा में फंसे रह जा रहे हैं। शुष्क वातावरण और धूल भरी हवाएं प्रदूषण को और बढ़ा रही हैं। यह स्थिति 17 मई तक जारी रह सकती है।
प्रदेश के प्रमुख प्रदूषित शहरों की स्थिति:
- मेरठ 313
- नोएडा 376
- मुजफ्फरनगर 260
क्या करें नागरिक:
- सुबह-शाम घर से निकलने से बचें
- मास्क का उपयोग करें, विशेषकर बुजुर्ग और बच्चे
- पौधरोपण और कूड़े को जलाने से रोकें
- जरूरत न हो तो वाहनों का उपयोग न करें