इलाहाबाद। मेरठ के एक हाई-प्रोफाइल बैंकिंग विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अहम हस्तक्षेप करते हुए बैंक कैशियर के खिलाफ चल रही धोखाधड़ी की कार्यवाही पर फिलहाल ब्रेक लगा दिया है। न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की एकल पीठ ने याचिकाकर्ता उमंग शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है।

मामले की शुरुआत मेरठ निवासी संध्या रानी द्वारा मेडिकल कॉलेज थाने में दर्ज कराए गए मुकदमे से हुई थी, जिसमें उन्होंने अपने पति सौरभ गोयल और बैंक कर्मियों पर मिलीभगत से संयुक्त खाते से अवैध धन निकासी का आरोप लगाया था। आरोप में यह भी कहा गया कि बैंक के कर्मचारी, विशेष रूप से कैशियर, ने बैंकिंग नियमों को दरकिनार कर फर्जी चेक के माध्यम से रकम निकाली।
पुलिस की चार्जशीट में एफएसएल रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें चेक पर संध्या रानी के हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे थे — यही जांच रिपोर्ट कैशियर पर कूटरचित दस्तावेजों के जरिए धोखाधड़ी का आधार बनी।
हालांकि, याची के अधिवक्ता सुनील चौधरी ने दलील दी कि बैंक ने पूरी प्रक्रिया आरबीआई गाइडलाइंस के अनुरूप ही निभाई थी और कैशियर को फंसाया जा रहा है। इस दलील पर विचार करते हुए कोर्ट ने कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगाते हुए सरकार को नोटिस जारी किया है। अब देखना होगा कि आने वाले हफ्तों में राज्य सरकार का पक्ष क्या रुख अख्तियार करता है और क्या यह मामला बैंकिंग प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर कोई नई मिसाल कायम करेगा।