उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में कानून व्यवस्था को लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (SSP) डॉ. विपिन ताडा ने बड़ी कार्रवाई की है। बीते तीन महीनों में अपराध नियंत्रण में विफल और ड्यूटी में लापरवाही बरतने वाले 10 थाना प्रभारियों और 14 चौकी प्रभारियों को लाइन हाजिर कर दिया गया है।
बढ़ता अपराध, घटता भरोसा
SSP कार्यालय में लगातार फरियादियों की भीड़ जुट रही है, जो इस ओर इशारा कर रही है कि थानों में पीड़ितों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। थानेदारों और चौकी प्रभारियों पर न केवल लापरवाही, बल्कि उच्च अधिकारियों को गुमराह करने जैसे गंभीर आरोप भी लगे हैं।
केस स्टडी 1: लावड़ की महिला पिटाई कांड
इंचौली थाना क्षेत्र के लावड़ कस्बे में दो भाइयों के जमीन विवाद के दौरान चौकी पुलिस ने महिलाओं पर डंडों से हमला कर दिया। जब यह वीडियो सामने आया, तो SSP ने तुरंत कार्रवाई करते हुए थाना प्रभारी नितिन पांडे, चौकी प्रभारी इंद्रेश विक्रम सिंह, व अन्य पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया।
केस स्टडी 2: सट्टा कारोबार में पुलिस की भूमिका
दौराला थाना क्षेत्र की दादरी चौकी में एक होटल में सट्टा चलने की सूचना मिलने पर जब पुलिस की संलिप्तता सामने आई, तो थाना प्रभारी उत्तम सिंह राठौर और चौकी प्रभारी पवन कुमार सहित पाँच पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया।
केस स्टडी 3: 25 हज़ारी बदमाश की गांव में हत्या
जानी क्षेत्र के गांव पांचली खुर्द में 25 हजारी इनामी रिंकू गुर्जर की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई। इतनी बड़ी वारदात होने के बावजूद पुलिस की कोई सक्रियता नहीं दिखी, जिसके चलते थाना प्रभारी संजय पांडे को सस्पेंड कर दिया गया।
पुलिसिंग पर उठते सवाल
SSP विपिन ताडा का कहना है कि किसी भी कीमत पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन सवाल यह है कि इतनी कार्रवाई के बावजूद अपराध का ग्राफ नीचे क्यों नहीं आ रहा? क्या यह पुलिस तंत्र में गहराई से फैली शिथिलता का संकेत है?
जनता की अपेक्षा: जवाबदेही और सुधार
स्थानीय नागरिकों का मानना है कि लाइन हाजिर कर देने से ज्यादा जरूरी है—प्रशासनिक पुनर्गठन, पारदर्शिता और जवाबदेही तय करना। SSP की मंशा साफ है, लेकिन इसे जमीनी हकीकत में बदलने के लिए पूरी पुलिस मशीनरी को सुधार की ज़रूरत है।