उत्तर प्रदेश में डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की परियोजना तेजी से आकार ले रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को साकार करने की दिशा में यह पहल रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश सरकार इस परियोजना को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा रही है।
झांसी बना डिफेंस हब:
अब तक झांसी में 16 कंपनियों को 531 हेक्टेयर भूमि आवंटित की जा चुकी है, जहां पर हथियारों के मोबाइल प्लेटफॉर्म, विस्फोटक और गोला-बारूद बनाए जाएंगे। इससे करीब 2928 लोगों को रोजगार मिलेगा।
कानपुर व अलीगढ़ में भी तेजी:
कानपुर में 5 कंपनियों को 210 हेक्टेयर जमीन दी गई है। यहां छोटे हथियार, बुलेटप्रूफ जैकेट और रक्षा से जुड़ी सामग्री बनेगी। 2200 नौकरियां प्रस्तावित हैं।
वहीं, अलीगढ़ नोड में 24 कंपनियों को जगह मिली है, जहां ड्रोन, काउंटर ड्रोन सिस्टम और रडार का निर्माण होगा। इससे 5618 युवाओं को रोजगार मिलेगा।
लखनऊ व अन्य नोड्स:
लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस जैसी बड़ी कंपनियों को शामिल किया गया है। यहां ब्रह्मोस मिसाइल और ड्रोन बनेंगे। 2930 नौकरियों की संभावना है। चित्रकूट और आगरा में भी भूमि आवंटन की प्रक्रिया जारी है।
परिणाम:
इस परियोजना के अंतर्गत प्रदेश सरकार ने 170+ कंपनियों के साथ 30,000 करोड़ रुपये के एमओयू किए हैं। अनुमान है कि इससे 50,000 से अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे।
निष्कर्ष:
डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर न केवल उत्तर प्रदेश को रक्षा निर्माण का केंद्र बनाएगा, बल्कि युवाओं को तकनीकी रोजगार देकर गांवों से लेकर शहरों तक औद्योगिक बदलाव की नई कहानी लिखेगा।