
आज, 6 मई 2025 को उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। महिला दरोगा अमृता यादव को 20,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने के बाद सात साल की सजा सुनाई गई थी। अब, पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) कलानिधि नैथानी ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया है। यह कदम पुलिस विभाग की छवि और अनुशासन को बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
पूरा मामला:
2017 में, गाजियाबाद के मोदीनगर निवासी समीर ने मेरठ के कोतवाली थाने में अपनी पत्नी द्वारा लगाए गए दहेज उत्पीड़न और अन्य गंभीर धाराओं के खिलाफ शिकायत की थी। महिला दरोगा अमृता यादव को इस मामले की जांच अधिकारी नियुक्त किया गया था। अमृता यादव ने समीर से आरोपों में ढील देने के बदले 1 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की, जो बाद में 20,000 रुपये में तय हुई। समीर ने एंटी करप्शन टीम से शिकायत की, जिसके बाद महिला दरोगा को बुढ़ाना गेट पुलिस चौकी से रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया।
न्यायिक कार्रवाई:
विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), मेरठ ने 5 सितंबर 2024 को अमृता यादव को दोषी ठहराते हुए सात साल की कठोर कारावास और 75,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई।
पुलिस विभाग की कार्रवाई:
डीआईजी कलानिधि नैथानी ने मामले की गंभीरता को देखते हुए अमृता यादव को 4 मई 2025 से सेवा से बर्खास्त करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस जैसे अनुशासित बल में इस प्रकार का आचरण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।